लेखनी प्रतियोगिता - प्रकृति का प्रकोप
प्रकृति का प्रकोप..
प्रकृति क्यों ना करे रोष,
जब हमने उसका अपमान किया है,
सौम्य सी इस खूबसूरत धरा का,
हद से ज्यादा दोहन किया है,
अपनी ममता और करुणा से,
हर जीव का इसने संरक्षण किया है,
मगर हम इंसानों ने, बदले में इसका
जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल किया है,
रोती बिलखती इस भूमि का,
हर तरह से सर्वनाश ही किया है,
प्रदूषण जैसे भयानक बीमारी से,
इसको हमने ही तो ग्रसित किया है,
चीत्कार कर उठा है, मां वसुंधरा का अंतर्मन,
जो अब तक ना हुआ, वो अब किया है
इसने भी तो बदले में,
प्राकृतिक प्रकोप से हमें अभिशप्त किया है।।
प्रियंका वर्मा
5/10/२२
आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएं 🙏💐💐💐🎉🎉🎉🎊
Khan
06-Oct-2022 11:28 PM
Bahut khoob 💐
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Punam verma
06-Oct-2022 08:18 AM
Nice
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
05-Oct-2022 11:30 PM
बहुत ही सुंदर सृजन
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